किताब के बहाने (Kitab Ke Bahane / Harinarayan Singh Hari)

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‘आज’ जैसे लोकप्रिय अखबार ने 80 के दशक में उनमें से कई आलेखों को अपने परिशिष्टों और सम्पादकीय पृष्ठों पर प्रकाशित भी किया। इस बीच मुझे अपने समकालीन कई रचनाकारों की कृतियों ने मुझे अपने फेसबुक पटल पर अपना मंतव्य लिखने को विवश कर दिया। इस तरह से कुछ समीक्षाएँ या समीक्षात्मक टिप्पणियाँ मेरे द्वारा लिख दी गयीं। कुछ समकालीन रचनाकार मित्रों ने अपनी-अपनी पुस्तकों की भूमिका लिखने के लिए अनुरोध किया, तो उस बहाने कुछ समीक्षात्मक आलेख लिखे मैंने। युवा साहित्यकार व आलोचक अश्विनीकुमार आलोक ने अनेक रचनाकारों के व्यक्तित्व व कृतित्व पर ग्रंथों का संपादन किया है, तो कई आलेख इस बहाने लिखे गये। कुछ समीक्षात्मक टिप्पणियाँ मेरे अपने गृहक्षेत्र मोहिउद्दीन नगर (समस्तीपुर) की साहित्यिक संस्था साहित्य परिषद् की पत्रिका ‘संवेद’ के लिए भी मैंने लिखे। उन्हीं आलेखों का अविकल संग्रह है, यह पुस्तक ‘किताब के बहाने’।

Author

हरिनारायण सिंह 'हरि'

Format

Paperback

ISBN

978-93-95432-45-0

Language

Hindi

Pages

104

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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