पुष्पेन्द्र पुष्प आज के शाइर हैं। उनकी ग़ज़ल का रिश्ता आज की ज़िंदगी से है। उनकी संवेदनाओं का संसार, उनके लफ़्ज़ों का कुनबा उनका अपना है… उसकी फ़ज़ा अपनी है। उसकी उदासियाँ… मुस्कुराहटें… उसकी रौनक़ें… वीरानियाँ… उसकी ध्वनियाँ-प्रतिध्वनियाँ सब अपनी हैं। ये फ़ज़ा लफ़्ज़ों की एक मुख़्तसर सी कायनात तख़लीक़ कर रही है जो कुछ जुदा चाँद सितारे अपने दामन में समेटे हुए है।
उनकी शायरी ज़िंदगी के मुख़्तलिफ़ रंगों से सजा एक ऐसा कोलाज है जिसमें पाठक को अपने हिस्से की धूप-छाँव और अपना अक्स दिखाई देता है। दौर-ए-हाज़िर की हक़ीक़तों को देखने की उनकी अपनी नज़र है। ऐसी नज़र जो व्यक्ति और समाज के रिश्ते को नए सिरे से पहचानने का साहस करती है।
Author | पुष्पेन्द्र पुष्प |
---|---|
Format | Paperback |
ISBN | 978-81-983152-5-0 |
Language | Hindi |
Pages | 128 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
Reviews
There are no reviews yet.