ख़्वाहिशों के सिलसिले (Khwahishon Ke Silsile / Pushpendra Pushp)

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पुष्पेन्द्र पुष्प आज के शाइर हैं। उनकी ग़ज़ल का रिश्ता आज की ज़िंदगी से है। उनकी संवेदनाओं का संसार, उनके लफ़्ज़ों का कुनबा उनका अपना है… उसकी फ़ज़ा अपनी है। उसकी उदासियाँ… मुस्कुराहटें… उसकी रौनक़ें… वीरानियाँ… उसकी ध्वनियाँ-प्रतिध्वनियाँ सब अपनी हैं। ये फ़ज़ा लफ़्ज़ों की एक मुख़्तसर सी कायनात तख़लीक़ कर रही है जो कुछ जुदा चाँद सितारे अपने दामन में समेटे हुए है।
उनकी शायरी ज़िंदगी के मुख़्तलिफ़ रंगों से सजा एक ऐसा कोलाज है जिसमें पाठक को अपने हिस्से की धूप-छाँव और अपना अक्स दिखाई देता है। दौर-ए-हाज़िर की हक़ीक़तों को देखने की उनकी अपनी नज़र है। ऐसी नज़र जो व्यक्ति और समाज के रिश्ते को नए सिरे से पहचानने का साहस करती है।

Author

पुष्पेन्द्र पुष्प

Format

Paperback

ISBN

978-81-983152-5-0

Language

Hindi

Pages

128

Publisher

Shwetwarna Prakashan

1 review for ख़्वाहिशों के सिलसिले (Khwahishon Ke Silsile / Pushpendra Pushp)

  1. Rated 5 out of 5

    Vivek

    उम्दा ग़ज़लों का शानदार संकलन 👌❤️

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