खिलते हैं गुल यहाँ (khilte Hain Gul Yahan / Nawab Kesar)

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शायरी, गज़ल, गीत, रुबाई आदि विभिन्न काव्यविधाओं में गहरी पैठ रखने वाले लब्धप्रतिष्ठ कविश्रेष्ठ बन्धुवर नवाब केसर द्वारा विरचित रुबाई-संकलन ‘खिलते हैं गुल यहाँ’ आद्यन्त अध्ययनोपरान्त सचमुच आपकी प्रशस्य काव्यप्रतिभा का कायल हो गया हूँ। केसर जी की ये रुबाइयाँ काव्यरस के मधुरास्वादन से जहाँ सहृदय पाठक वृन्द की आत्मा को अतिशय आनन्दानुभूति प्रदान करेगी वहीं सुधीजन को मन, बुद्धि, चित्त, अहंकारादि अन्त:करणों की चेतना शक्ति, अस्मिता व बौद्धिक क्षमता से रूबरू करायेगी।

सुशील चन्द शास्त्री
(से.नि. प्रधानाचार्य) लब्धस्वर्णपदक
एम.ए. ‘हिन्दी-संस्कृत’, दर्शनाचार्य, बी.एड.

Author

Nawab Keasr

Format

Hardcover

Pages

124

ISBN

978-93-95432-96-2

Language

Hindi

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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