,

Kumar Ravindra Ke Brihad Sahityik Sansar Ka Anusheelan / Dr. Reshmi Panda Mukherji

599.00

Buy Now

कुमार रवींद्र एक नवगीतकार, कवि व काव्य-नाटककार के रूप में हिन्दी जगत में वर्षाें तक चर्चित व बहुपठित रहे। इहलोक को त्यागने के बावजूद उनकी कृतियाँ आज भी समाज के जीवित प्रश्नों के उत्तर ढूँढती हैं। उनकी कविताएँ पाठक मन में शृंगारपरक अनुरक्ति की लहरें उमड़ देती हैं। उनके काव्य-नाटक पौराणिक व ऐतिहासिक कथ्य पर नई दृष्टि से विचार करने की राह सुझाते है। उनके नवगीत प्रकृति के प्रत्येक सुंदरतम अंश को विषय के रूप में ग्रहण करते हैं। प्रकृति का नृशंस दोहन हो या शहरीकरण के नाम पर गाँवों-कस्बों को लीलने की साजिश, राजनीतिक दोगलापन हो या सामाजिक अन्याय, सांस्कृतिक स्खलन हो या उपभोक्तावादी शोषण-कुमार रवींद्र के नवगीत, दोहे, उनकी ग़ज़लें, कविताएँ प्रत्येक छद्म पर वार करतीं हैं। मानव के मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था प्रकट करती हैं। उनकी भावाभिव्यक्ति ने कविता, गीत, नवगीत, ग़ज़ल, यात्रा-संस्मरण, काव्य-नाटक, आलोचना आदि विधाओं का आश्रय ग्रहण किया। प्रत्येक विधा में उनकी कलम पाठक को अपना कायल बनाने में समर्थ रहीं। आपकी रचनाओं में द्रोण, कुंती, कर्ण, अर्जुन, राम, सीता, रावण, शबरी, एकलव्य, सूर्यदेव, संजय, भीष्म, अम्बा, देवयानी, शुक्राचार्य, गंगा, सत्यवती जैसे पौराणिक पात्र पूरी विश्वसनीयता के साथ नए प्रश्नों और प्रासंगिक विषयों को लेकर पाठक से मिलते हैं। दूसरी ओर तथागत, अंगुलिमाल, आनंद, सुजाता, यशोधरा, तुलसीदास, कबीर जैसे ऐतिहासिक चरित्र पाठकों को नव-दृष्टि से आप्लावित करते हैं। भारत के मंदिर, किलों, दुर्गाें, चौक-बाजारों, पुस्तकालयों, भवनों, झीलों, समुद्र-तटों, मठों-आश्रमों, शहरों, खण्डहरों व भग्नावशेषों आदि को आपने एक यायावर की सहृदयता, जिज्ञासा, धैर्य, अनुसंधानपरक दृष्टि से देखा, समझा और परखा। आपके यात्रा-वर्णन अपनी रोचकता, प्रासंगिकता, प्रामाणिकता, तटस्थता, कलात्मक अभिव्यक्ति के कारण अविस्मरणीय बन गए। अपनी प्रिय पत्नी सरला के प्रति आपके अनुरागपूर्ण गीतों ने पाठक को एक सुखद-स्वस्थ दाम्पत्य जीवन के अहसास से आपूरित कर दिया।

-डॉ. रेशमी पांडा मुखर्जी

Author

डॉ. रेशमी पांडा मुखर्जी

Format

Hardcover

ISBN

978-81-975433-3-3

Language

Hindi

Pages

256

Publisher

Shwetwarna Prakashan

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Kumar Ravindra Ke Brihad Sahityik Sansar Ka Anusheelan / Dr. Reshmi Panda Mukherji”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shopping Cart
Scroll to Top