अनमोल अपनी ग़ज़लों में उन्ही जीवन मूल्यों को बचाने को प्रयासरत हैं। उनकी ग़ज़लों में आशा व विश्वास भरी दृष्टि है, जो दुनिया की समस्त विडंबनाओं, विद्रूपताओं के उपरांत भी दुनिया में सुंदरता, सहजता, सरलता, आत्मीयता ढूँढती हैं व क़दम क़दम पर कामयाब होती हैं। के. पी. अनमोल जी की ग़ज़लों में सच्चाई के बावजूद उनमें तल्खी नहीं है। इनके सच कहने का अंदाज़ थोड़ा जुदा है। वे सच्चाई तो कहते हैं लेकिन सच्चाई को थोड़ा-सा गुड़ में लपेटकर कहते हैं ताकि साँप भी मर जाए और लाठी भी नहीं टूटे। इन ग़ज़लों में प्रयोगधर्मिता भी कमाल की है। सोशल मीडिया एवं नए समय के नए शब्दों का प्रयोग भी इन ग़ज़लों में किया गया है। देशज और अंग्रेजी भाषा से भी गुरेज नहीं किया गया। कुल मिलाकर यह एक मुकम्मल ग़ज़ल संग्रह बना है, जिसमें हर वर्ग की पसंद की ग़ज़लें पढ़ने को मिलेंगी। ये ग़ज़लें समकालीनता की परिभाषा को विस्तार देती हैं, उस परिभाषा को और सटीक और सार्थक करने का प्रयास करती हैं।
Author | K. P. Anmol |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-19590-02-5 |
Language | Hindi |
Pages | 96 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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