घुन्ना उन किरदारों की कहानी है, जो अपनी नाराज़गी और शिकवे को मन में छिपाए रखते हैं, लेकिन सही मौके पर घात करने से नहीं चूकते। यहाँ हर रिश्ता आर्थिक, सामाजिक और पारंपरिक तानों-बानों में उलझा है। हर व्यक्ति अपने भीतर घुन्ना पालकर दूसरों के ख़िलाफ़ अपनी चाल चलने की ताक में रहता है। यह उपन्यास मानव स्वभाव की गहराइयों और रिश्तों की जटिलता को बयां करता है।
Author | संजय सिंह 'निर्जल' |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-93-49136-04-5 |
Language | Hindi |
Pages | 200 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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