योगेन्द्र प्रताप मौर्य जी का यह संग्रह ‘गीत हौसले हैं’ मन में उम्मीद रोपते गीतों का संग्रह है जो टूटे-हताश लोगों को नीड़ के पुनर्निर्माण के लिए प्रेरित करता है। योगेन्द्र जी समय-समाज की विसंगतियों पर संवेदनशील टिप्पणी करते हैं और हर उस नकारात्मकता के विरुद्ध लोकमन में प्रतिरोध रचते चलते हैं जिनमें मनुष्यता के प्रति असहिष्णुता व्याप्त है। उनके नवगीत प्रतिरोधी वैचारिकता के नवगीत हैं जिनका सांस्कृतिक स्वरूप पत्थरबाजी के स्थान पर ‘सत्यमेव जयते’ के प्रति आस्थावान बनाता है।
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