सुपरिचित दोहाकार प्रभु त्रिवेदी का सातवाँ दोहा-संग्रह ‘एक अकेला दीप’ पूर्णतः संदर्भों पर केंद्रित है। इस संग्रह के शताधिक दोहों में कवि ने दीप विषयक मुहावरा-कहावतों के साथ ही जीवन जगत् के बहुरंगी प्रसंग नवीन काव्य-धरातल पर मौलिक रूप में उजागर किये हैं। दीप धरोहर धर्म की, दीप-शिखा कामायिनी, दीपक की अन्तर्व्यथा से लेकर दीप तुम्हारी रश्मियाँ, जीना चाहें आप-हम, दीप तुम्हारे साक्ष्य में आदि इक्यानवे शीर्षकों में विभक्त इस दोहा कृति में मानव जीवन के बहिरन्तर पक्षों का जैसा वैविध्यमय विन्यास है, वैसा अन्यत्र दुर्लभ है।
Format | Hardcover |
---|---|
Author | Prabhu Trivedi |
Language | Hindi |
Pages | 112 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
Reviews
There are no reviews yet.