हिंदी, तेलुगु, अंग्रेजी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के मनीषी विद्वान डॉ. एस, कृष्ण बाबु एक गंभीर अध्येता, तत्वमनीषी दार्शनिक, चिंतक शिक्षाविद एवं भाषाविद हैं। साहित्य की अनेक प्रमुख विधाओं के साथ ही समाजशास्त्रीय अध्ययन एवं अंतर अनुशासनिक पाठों में भी उनकी रुचि एवं बहुज्ञता है। उनके लेखन में वैचारिक बहुलता एवं सांस्कृतिक मूल्यवत्ता के सहज निदर्शन होते हैं। विराट भारतीय जीवन दृष्टि और संघर्षधर्मिता उनके लेखन की प्रमुख प्रवृत्ति है। लेखक द्वारा रचित प्रस्तुत ग्रंथ एक विशिष्ट निबंधमाला है जिसमें लेखक ने गवेषणापूर्ण एवं मौलिक दृष्टि का प्रयोग करते हुए अनेक सामाजिक एवं साहित्यिक निबंध रचे हैं। लेखक ने अपने निबंधों के केंद्र में मानवता को रखा है। लेखक की सजग चिंतनदृष्टि पौराणिक – मिथकीय साहित्य के साथ ही आधुनिक विचार बोध का भी नीर-क्षीर विवेचन करती है। आपके लेखन में श्रम का सौंदर्य एवं गहरा वर्गबोध भी समाविष्ट है। शोषित, दलित, वंचित एवं स्त्री जाति की विडंबनाओं का आलोचकीय चित्रण करते हुए आपका संवेदनशील हृदय करुणा एवं आक्रोश से आप्लावित दिखाई देता है। आपने ग्रंथ में भाषा चिंतन भी किया है और तुलनात्मक अध्ययन का औदात्य प्रस्तुत किया है। समग्रतः आपकी यह रचना जितनी साहित्यिक एवं नैतिक है, उतनी ही सामाजिक एवं बहुपाठी है। यह आपकी महत्तर मानवीय दृष्टि को दर्शाती है।
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डॉ. कृष्ण बाबु के साहित्यिक निबंध (Dr. Krishna Babu Ke Sahityik Nibandh / Dr. R. P. S. Chauhan)
₹299.00
Author | Dr. R. P. S. Chauhan |
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Format | Hardcover |
ISBN | 978-81-972569-9-8 |
Language | Hindi |
Pages | 212 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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