समकालीन हिन्दी के समृद्ध ग़ज़लकारों में एक प्रतिनिधि नाम डॉ. भावना का है। अगर स्त्री ग़ज़लकारों की बात करें तो उनका कोई सानी या प्रतिद्वंद्वी भी नज़र नहीं आता। वह एक ऐसी ग़ज़लकार हैं, जो लगातार लिख रही हैं या यों कहें कि उन्होंने अपने आप को ग़ज़ल के लिए समर्पित कर दिया है। डॉ. भावना की साहित्य साधना पर पहले भी एक किताब प्रकाशित है। पत्रिकाओं ने उन पर विशेषांक निकाले हैं। इसी कड़ी में ‘डॉ. भावना का ग़ज़ल साहित्य चिंतन और दृष्टि’ नामक एक और किताब का प्रकाशन इस बात की निशानदेही करती है कि उनकी ग़ज़लों में बहुत कुछ ऐसा है जिसका मूल्यांकन अभी भी शेष है। इस आलोचनात्मक कृति में देश के जाने-माने ग़ज़ल आलोचकों ने उनकी ग़ज़ल की कृतियों पर अपने विचार रखे हैं और उनके साहित्य को इस समय की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के तौर पर देखा है। उनकी उपलब्धि का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि दुर्गा पूजा के ठीक पहले दिन उन पर एक और किताब जम्मू सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक डॉ. विनय कुमार शुक्ल ने ‘डॉ भावना की प्रतिनिधि ग़ज़लें’ का संपादन किया है। जब कोई लेखक यहाँ तक पहुँच जाए कि उसकी कृति की अलग-अलग समीक्षा होने लगे तो वास्तव में यह उनकी बढ़ती हुई ख्याति का प्रमाण है। ज़ाहिर है डॉ. भावना अन्य विधाओं में लिखते हुए भी एक ख़ालिस ग़ज़लकार बनकर हमारे सामने आई हैं।
Books
डॉ. भावना का ग़ज़ल साहित्य: चिंतन और दृष्टि (Dr. Bhavna Ka Gazal Sahitya: Chintan Aur Drishti)
₹599.00
Author | Editor: डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफ़री |
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Format | Hardcover |
ISBN | 978-81-19590-00-1 |
Language | Hindi |
Pages | 350 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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