दिल्ली नजर आई (Dilli Nazar Aayi / Nandi Lal)

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नन्दी लाल जी समकालीन अंतरद्वन्द्वों की अभिव्यक्ति करने वाले ऐसे विरले रचनाकारों में हैं, जिनका रचना कर्म सहमति-असहमति के प्रमाण प्रस्तुत नहीं करता बल्कि विस्तृत अनुभव-लोक जीता है।
नन्दी लाल जी प्रतिरोध के ग़ज़लकार तो हैं ही लेकिन उनका प्रतिरोध वेवजह सत्ता या उसमें बैठे लोगों का विरोध नहीं करता है बल्कि उनकी जिम्मेदारियों से उन्हें अवगत कराता है। नन्दी लाल जी ने मूल्यहीन प्रवृत्तियों को उजागर करते हुए ढेरों महत्त्वपूर्ण शेर कहे हैं। इनमें दुष्यंत की तपिश और अदम के आत्मविश्वास को बखूबी महसूस किया जा सकता है। यथा-

गाँव-नगर की चौपालों पर बिछने लगे बिछौने फिर।
गर्म सियासत के चूल्हे पर चढ़ने लगे भगौने फिर॥

Author

Nandi Lal

Format

Paperback

ISBN

978-81-981869-9-7

Language

Hindi

Pages

112

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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