दिल्ली कितनी दूर (Dilli Kitni Door / Rahul Shivay)

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राहुल शिवाय हिन्दी गीत का युवा दैदीप्यमान नक्षत्र है। हिन्दी नवगीत की परंपरा ने बहुत सारे नवगीतकारों को देखा है, जिनका अपना ‘स्टाइल’ उनके गीतों की पहचान रही है। लेकिन राहुल शिवाय के लिए यह बात बिल्कुल अलग है। उसके पास विषय की विविधता तो है ही पर गीतों में जो ‘स्टाइल’ की विविधता है, वह उसके गीत-संग्रह के लिए विभिन्न गीतकारों के द्वारा लिखे गये गीत-संकलन की मृगमरीचिका पैदा करती है। उसका अध्ययन सिर्फ़ पुस्तकों से प्रेरित प्रतीत नहीं होता है। ऐसा लगता है जैसे आसपास हो रही हर घटना को वह पढ़ रहा हो। सच तो है- सेब को गिरते देखने भर से गुरुत्व की खोज नहीं हो गयी थी। जाने कितने ही लोगों ने पूर्व में भी सेब को गिरते देखा होगा। यह तो न्यूटन का चीज़ों के प्रति अनुसंधान का नज़रिया था जो राहुल के पास गीतों के लिए है। गमले में उगे फूल से लेकर पतंगोत्सव, दीवाली, गुलाब आदि से एक नयेपन से जुड़ना उसकी विशेषता है। उसके गीतों का भाषा-सौंदर्य तो विलक्षण है। तत्सम से लेकर विदेशज शब्दों तक कुछ भी अलग से आरोपित प्रतीत नहीं होता है। यश मालवीय ठीक ही कहते हैं- “एक ऐसे दौर में जब चारों तरफ़ गीत न लिख पाने की अक्षमता को नवगीत का शीर्षक देकर छपाया और खपाया जा रहा है, राहुल शिवाय शिल्प के साथ पूरा न्याय करते नज़र आते हैं, यह शायद इसलिए भी संभव हो पाता है क्योंकि वह नवता के दबाव में गीत की अपनी चिरंतन परंपरा को तिलांजलि नहीं देते वरन् उससे निरन्तर रस ग्रहण करते चलते हैं और हिन्दी नवगीतों का एक प्रेमिल संसार रचते चले जाते हैं।”

-शारदा सुमन
सह निदेशक, कविता कोश

Author

Rahul Shivay

Format

Paperback

ISBN

978-81-977075-4-4

Language

Hindi

Pages

120

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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