डॉ. सीरोठिया के कुण्डलिया संग्रह ‘ढाई आखर की कथा’ मानव के भावनात्मक श्रीवर्धन के साथ-साथ संघर्षनात्मक ऊर्जा का संचार करती है। समसामयिक चिंतन, प्रकृति, देशप्रेम, अध्यात्म, मानवीय रिश्तों का संसार, ग्रामीण-शहरी परिवेश, राजनीतिक-सामाजिक विद्रूपताओं का चित्रण तथा सीखने-सिखाने के प्रवृत्ति जैसे विभिन्न विषयों को उन्होंने अपनी कुण्डलियों का विषयवस्तु बनाया है।
एक चिकित्सक होने के नाते वह अपना धर्म साहित्यिक कर्म में भी नहीं भूलते हैं और समाज में व्याप्त रोगों के निराकरण के लिए अपनी काव्य रचनाओं के द्वारा निरंतर प्रयत्नशील रहते हैं।
-राहुल शिवाय
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