‘दरवाज़ा खोलो बाबा’ संग्रह की रचनाएँ बदलते परिवेश के अवलोकन और नव-स्पंदन से परिपूर्ण पुरुष हृदय की अनुभूतियों का लेखा-जोखा सा है। जितना मैं समझ पाई, जिस तरह समझ पाई, कहने की कोशिश की है। मात्र विमर्श नहीं बल्कि यह वक़्त की दरकार है कि साझी कोशिशों और स्त्री-पुरुष के भेद से परे मानवीय सरोकारों की उजास को सामाजिक-पारिवारिक परिवेश में सहज स्वीकार्यता मिले।
‘दरवाज़ा खोलो बाबा’ संग्रह के प्रथम संस्करण को मिला पाठकों का स्नेह इसे दूसरे संस्करण के पड़ाव तक ले आया है। किताब आने के बाद एक ओर रचनाओं पर मिली मर्मस्पर्शी पाठकीय प्रतिक्रियाओं ने हमारा मनोबल बढ़ाया तो दूसरी ओर ‘महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी’ से पुस्तक को पुरस्कृत किया गया। पुस्तक में कुछ नयी कविताओं के साथ ‘दरवाज़ा खोलो बाबा’ का दूसरा संस्करण अब पाठकों समक्ष है।
Author | Monika Sharma |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-980249-2-3 |
Language | Hindi |
Pages | 112 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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