प्रभाकर सिन्हा द्वारा प्रणीत प्रस्तुत काव्यकृति “तुम रीत गई, मैं बीत गया” कवि के आध्यात्मिक उन्मेष की प्रवाहपूर्ण और रागात्मक अभिव्यक्ति है। एक प्रकार से, यह कविता में तत्व-मीमांसा है। दरअसल, यह लम्बी कविता, पार्थिव से पार्थिव मृण्मय से चिन्मय की ओर एक दिव्य-चेतना यात्रा है। इस यात्रा में, मूर्त कब अमूर्त, सगुण कब निर्गुण और द्वैत कब अद्वैत हो जाता है, पता ही नहीं चलता के लिखते भी हैं, ‘तुम्हे देखना स्वयं को देखने जैसा था, देखने की कला सीख लेने जैसा था। कबीर कहते हैं, “प्रेम गली अति सांकरी जामे दो न समाय”। यही तो द्वैतपरक संस्कारों से मुक्ति का मार्ग है। अद्वैतमूलक, एकीकृत अनुभूति की अनुपम उपलब्धि है। कविता में इस कला को साध लेने का कौशल कवि को विशिष्ट बनाता है। यह काव्य-शृंखला रहस्यानुभूति (mystic experience) और सौंदर्यबोध (aesthetic sense) से परिपूर्ण एक अनवरत, अबाध, विरल भाव-धारा है, जिसमें अवगाहन कर पाठक-गण निश्चय ही अतुलित आनंद को उपलब्ध होंगे!
कुमार राहुल
चिंतक, गीतकार एवं शिक्षक
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तुम रीत गई मैं बीत गया (Tum Reet Gayi Main Beet Gaya / Prabhakar Sinha)
Original price was: ₹799.00.₹650.00Current price is: ₹650.00.
Author | Prabhakar Sinha |
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Format | Hardcover |
ISBN | 9789390135622 |
Language | Hindi |
Pages | 52 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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