डॉ. भावना आज की महिला ग़ज़ल-लेखन में सबसे अधिक सफ़ल ग़ज़लकारा हैं। इनकी ग़ज़लों में यथार्थवाद का वो रूप मिलता है, जो निश्चय ही शुभ और स्वस्थ है और जिसके द्वारा हम सहज ही अपनी आत्मा का दर्शन कर सकते हैं। इनकी ग़ज़लें सामाजिक, राजनीतिक और दैनिक जीवन के यथार्थ चित्रों से परिपूर्ण हैं। सुलगते यथार्थ को सूत्रबद्ध और व्यवस्थित करना और उसमें प्राण डालना इनकी ख़ास विशेषता है।
इनकी लोकचेतना को इनकी ग़ज़लों से पृथक नहीं किया जा सकता। भारतीय लोक के समन्वित रूप को इन्होंने स्वयं अपने भीतर साधा है। ऐसे ढेरों प्रयोग और संदर्भ हैं जिनके संकेत प्रस्तुत संग्रह की ग़ज़लों में मिलते हैं। बहुत कम ग़ज़लकारों की ग़ज़लों में यह देखने को मिलता है।
संग्रह की ग़ज़लों की सहजता पाठकों को सहज रूप से अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। इनमें बनावट का कहीं कोई छल नहीं है। एक संस्कारित आत्मा और लेखकीय समर्पण की सुगढ़ता है।
Dr. Bhawna aaj ki mahila gajl-lekhan men sabase adhik safl gajlakaara hain. Inaki gjlon men yathaarthavaad ka vo roop milata hai, jo nishchay hi shubh aur svasth hai aur jisake dvaara ham sahaj hi apani aatma ka darshan kar sakate hain. Inaki gajlen saamaajik, raajaneetik aur dainik jeevan ke yathaarth chitron se paripoorN hain. Sulagate yathaarth ko sootrabaddh aur vyavasthit karana aur usamen praaN Daalana inaki khaas visheSata hai.
Inaki lokachetana ko inaki gajlon se pRithak naheen kiya ja sakataa. Bhaarateey lok ke samanvit roop ko inhonne svayan apane bheetar saadha hai.
अनिरुद्ध सिन्हा –
संग्रह की अधिकांश ग़ज़लों में लोक और उससे जुड़ा जीवन है जो कई-कई रूपों में हमारे समक्ष उपस्थित होता है। ऐसी भी बात नहीं है कि इनका लोक ग़ज़ल की रहस्यशीलता की उँगलियाँ, शिल्प और शब्दों की कलाबाजी से संतुष्ट होकर छाया और कुहरे में उलझ जाता है। इनका लोक आत्म सम्मोहनकारी मुग्धता से अलग हटकर एक विराट कर्तव्य बोध की तरह आज की जीवन-दशा को प्रतिबिम्बित करता है।