डॉ. श्याम मनोहर सीरोठिया का यह कुण्डलिया संग्रह पाठकों को सुखद अनुभूति कराने में सक्षम है। ‘चाँद कहीं ठहरा हुआ’ एक ऐसी कृति है, जिसमें स्थान-स्थान पर सौन्दर्यबोध दृष्टिगोचर होता है। कई स्थानों पर कवि ने प्रकृति का मनोहारी मानवीकरण किया है। इस संग्रह में अनेक कुण्डलिया छंद ऐसे हैं, जो अपने शब्द विन्यास से पाठकों के समक्ष मोहक चित्र उपस्थित करते हैं। इस संग्रह में सौंदर्यबोध, समसामयिक सामाजिक जीवन का यथार्थ, कल्पना और जीवन के विभिन्न पहलुओं का सुंदर समन्वय है। कवि ने अनेक स्थानों पर सुंदर बिम्बों एवं प्रतीकों का प्रयोग किया है। इस संग्रह की भाषा सहज एवं सरल होने के कारण पाठक पर अपना प्रभाव छोड़ती है।
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