डॉ. मंजु लता श्रीवास्तव का बड़ों के साहित्य में प्रतिष्ठित नाम है। बाल साहित्य की भी दो पुस्तकें इसके पूर्व में आ चुकी हैं ‘कुट-कुट चिड़िया’ और ‘बुलबुल का घोंसला’ दोनों ही बाल गीत संग्रह हैं। अब यह बाल कविताओं का नवीनतम संग्रह हमारे समक्ष है जिसमें बच्चों के अनुरूप विभिन्न विषयों को समाहित किया गया है। संग्रह में माँ है, रिंकी टीचर है, कहानी सुनाती हुई दादी है, नानी है, सूरज भैया है, चंदा मामा है, तितली है और चली लोमड़ी दावत खाने है, मनभावन सावन है तो झूम-झूम कर बादल आए, जोर-जोर से पानी बरसे, गाल फुलाता मेंढक भी है, आओ चिड़िया है और हाथी भी है जिसे ‘चढ़ गया बुखार’ कोयल काली कूं-कूं करती है तो अपनी रेल दोस्तों के साथ आगे बढ़ती है और जहाँ जंगल में दरबार सजा है पहुँचती है। पंचायत में आओ पेड़ लगाएँ और पेड़ भी ऐसे जिन पर अपनी मनभावन चीजें जैसे रसगुल्ले, इमरती, चॉकलेट कुल्फी, लिम्का, स्प्राइड, कोका-कोला और न जाने क्या-क्या लगते… कितने मजे आते।
कहने का तात्पर्य यह है-कि सभी विषय चुन-चुन कर उनपर कविताओं का सृजन किया है जो बहुत ही प्यारा और सार्थक बन पड़ा है।
Author | Dr. Manju Lata Shrivastava |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-983152-6-7 |
Language | Hindi |
Pages | 48 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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