सम्यक ललित और स्वप्निल तिवारी द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘जैसा मैंने देखा तुमको’ कदाचित हिन्दी साहित्य में पहला काव्य संग्रह है जो विकलांगता पर केन्द्रित है। इस संग्रह में पचास रचनाएँ हैं जो विकलांगता विमर्श के विभिन्न आयामों को छूती हैं। कविता कोश और ईवारा फ़ाउण्डेशन की प्रस्तुति इस संग्रह के लिए रचनाएँ समावेश पहल के तहत आमंत्रित की गईं थी जिसके संयोजक शारदा सुमन और गौरव अदीब थे।
Samyak Lalit aur Swapnil tivaari dvaara sampaadit pustak “Jaisa Mainne Dekha Tumako” kadaachit hindi saahity men pahala kaavy sangrah hai jo vikalaangata par kendrit hai. Is sangrah men pachaas rachanaaen hain jo vikalaangata vimarsh ke vibhinn aayaamon ko chhooti hain. Kavita kosh aur eevaara phaauNDeshan ki prastuti is sangrah ke lie rachanaaen samaavesh pahal ke tahat aamantrit ki gaeen thi jisake sanyojak Sharda Suman aur Gaurav Adeeb the.
ऋचा दीपक कर्पे –
“जैसा मैंने देखा तुमको”
कविता कोश प्रस्तुति…
आज ही पुस्तक प्राप्त हुई है। बहुत खुश हूँ। मुखपृष्ठ सुंदर है। अक्षर बड़े-बड़े और स्पष्ट हैं। मेरी भी एक कविता को इस अनुपम काव्यसंग्रह में स्थान मिला है, संपादक मंडल की दिल से आभारी हूँ…..
शारदा सुमन जी को भी बधाई..
और अंत में लाखों लोगों के आदर्श, प्रेरणास्रोत ललित जी को बहुत बहुत बधाई! उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिले….
उनके सभी सपने पूरे हों…
हम भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से उनके साथ हैं..
Apara Raj –
It’s a really collection on disability-centric theme. Recommended Book!