उमाशंकर शुक्ल ‘दर्पण’ की प्रथम बालकाव्य कृति ‘बाबाजी देखो डाली पर’ में विषयों की विविधता और तरह-तरह की भंगिमाएँ हैं। धार्मिक भावनाओं को भी बालकविताओं का विषय बनाकर प्रस्तुत किया गया है जो कवि की ईश्वर में गहरी आस्था का प्रतीक है। अधिकांश कविताओं में परंपरागत विषयों का ही चयन किया गया है।कुछ नए विषय भी हैं, लेकिन उनकी शैली पुरानी ही है।
चूँकि यह रचनाकार का प्रथम संकलन है, इसलिए इस प्रयास की सराहना की जानी चाहिए। मुझे विश्वास है कि बालसाहित्य जगत में इस पुस्तक को भरपूर आदर और प्यार मिलेगा।
-डॉ. सुरेन्द्र विक्रम
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