अगर प्रेम पूजा है तो ये गीत पूजा के रोली-अक्षत हैं। इनमें वन तुलसी की गंध है, इसीलिए कभी-कभी रेणु की कहानियाँ इनमें साँस लेती सी नज़र आती हैं। ये इसलिए भी कि हर गीत की खिड़की से कुछ कहानियाँ धीरे-धीरे क़दमों की आहट देती हुई सी गुज़रती हैं। इनमें भरे-पूरे ताल में चेहरा निहारती गदराई हुई शाख की बोलती हुई छवियाँ हैं। इनमें प्रिय के इंतज़ार में आँखों में चुपचाप उतर आया उजाला है, कभी-कभी उदासी की आकाशगंगा भी है। राहुल शिवाय ने इन गीतों में अपनी आत्मा का उजास भर दिया है। इन गीतों में शृंगार की दीपावली है, होली के सुरधनु हैं। इन गीतों में प्यार करता एक गीतकार दिल की तरह धड़कता है। उसके पास जीवन-राग का कथ्य है, जिसमें एक ऐसी आग समाई हुई है, जिसके पास चंदन की सी शीतलता है, गंगा नहाया-सा मन है। स्वकीया-परकीया का भेद जहाँ मिट जाता है और ख़ालिस अनुराग जहाँ करवटें बदल रहा होता है, वहीं और केवल वहीं ऐसे गीत सम्भव होते हैं। ये गीत कभी श्रावणी दोपहर की धूप होते हैं, तो कभी वसंत की सरसों से गीली हुई पीताभ धूप। ये गीत ऐसे दरपन हैं, जिनमें अपना अक्स देखकर कोई रूपसी अपनी कंघी-चोटी कर सकती है, अपने खुले बाल सँवार सकती है। इन गीतों में मध्यवर्गीय दाम्पत्य की भीनी-भीनी वो सुगन्ध है, जो मन को ही उद्यान बना देती है।
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Books
और तुम हो (Aur Tum Ho / Rahul Shivay)
Original price was: ₹299.00.₹249.00Current price is: ₹249.00.
Author | Rahul Shivay |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-98061-39-3 |
Language | Hindi |
Pages | 112 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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