यह काव्य-नाटक ‘अम्बपाली: वैशाली की बेटी’ एक सुप्रसिद्ध सौन्दर्य-मूर्ति, सर्वश्रेष्ट नृत्यांगना की दर्द भरी कहानी पर आधारित है। एक नवजात परित्यक्त बच्ची जो आमों के बाग़ में एक माली को मिली जिसने उसका पालन-पोषण किया और नृत्य-कला में पारंगत किया। इस अतिसुंदर नर्तकी की एक एक अदा में ऐसी मनोहरता, कलात्मकता और चुम्बकीय आकर्षण था कि जिस ने वैशाली के सभी उच्चकुलीन नवयुवकों को दीवाना बना दिया था। मगर वो देशभक्त लड़की जो अपनी नृत्य-कला को पूजा और तपस्या मान कर अपने इष्टदेव की आराधना करती थी, उसकी जन्म-भूमि वैशाली जो एक लोकतान्त्रिक राज्य था, ने उससे अपनी इच्छानुसार जीने का अधिकार छीन लिया था। या यूँ कहिये कि शक्तिशाली पुरुष जाति ने निर्बल स्त्री जाति की सभी उमंगों, आरजुओं को निर्दयता से कुचल डाला था। ज़ाहिद साहिब ने यह काव्य-नाटक निहायत पुरसोज़ लिखा है और दिल में सीधा उतर जाने वाले सादा लेकिन अर्थपूर्ण शब्दों का प्रयोग कर के एक महान क़लमी कारनामा अंजाम दिया है जो रहती दुनिया तक जिंदा और पाइन्दा रहेगा। इस काव्य-नाटक में पाठकों एवं दर्शकों को ज़ाहिद अबरोल साहिब की काव्य-कला के बेहतरीन जौहर देखने को मिलेंगे।
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अम्बपाली : वैशाली की बेटी (Ambpali : Vaishali Ki Beti / Zahid Abrol)
Original price was: ₹399.00.₹299.00Current price is: ₹299.00.
Author | ज़ाहिद अबरोल |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-981869-7-3 |
Language | Hindi |
Pages | 120 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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