अक्षुणा स्त्री विमर्श से जुड़ी 15 महत्वपूर्ण कहानियों का संकलन है, जिसका संपादन प्रसिद्ध कथाकार गीताश्री ने किया है। इस संकलन में स्त्री अस्मिता का स्वर स्त्री विषयक समस्याओं, चिन्ताओं के प्रति साथ साफ़-साफ़ सुनायी देता है। इन कहानियों में समकाल की झलक और उसे बेहतर करने की ललक दोनों है।
AkSuNa stri vimarsh se juDi 15 mahatvapoorN kahaaniyon ka sankalan hai, jisaka sanpaadan prasiddh kathaakaar geetaashri ne kiya hai. Is sankalan men stri asmita ka svar stri viSayak samasyaaon, chintaaon ke prati saath saaf-saaf sunaayi deta hai. In kahaaniyon men samakaal ki jhalak aur use behatar karane ki lalak donon hai.
Anchal Saksena –
Shwetwarna Prakashan से “अक्षुणा” प्राप्त किये कुछ समय बीत गया पर जनवरी से लगातार आँखों में परेशानी और ख़राब स्वास्थ्य के चलते मैं कोई भी किताब पढ़ नहीं पाई हूँ। इस किताब के बारे में कुछ शब्द माँ और पापा Atul Kumar Saxena की तरफ़ से लिख रही हूँ।
“किताब बेहद पसंद आई। नए चलन के साहित्य की अनेकों किताबों से दो-चार होने के बाद ये किताब एक गहरा असर छोड़ती है। सभी कहानियाँ स्त्री अस्मिता, शोषण, शक्ति, सशक्तिकरण और स्त्री के सतत संघर्षों के चारों ओर बुनी गईं हैं। सभी कहानियाँ मन-मस्तिष्क पर अमिट प्रभाव छोड़ती हैं। भाषा-शैली प्रभावपूर्ण है और सभी लेखकों ने प्रशंसनीय कार्य किया है। इस किताब की संपादक गीताश्री जी ने सराहनीय कार्य करते हुए किताब को एक बेहद सुंदर आयाम दिया है।
सभी लेखक प्रशंसा के पात्र हैं।”