वैश्वीकरण के बाद दुनिया ग्लोबल विलेज हो गयी। ऐसे में यह प्रश्न सहज ही उठता है कि विश्व ग्लोबल सिटी या शहर क्यों नहीं कहलाया? ग्लोबल विलेज नाम देने का संभवतः एक कारण यह भी हो सकता है कि मानव की मूलभूत आवश्यकताएं गाँवों से ही पूरी होती है। भोजन अर्थात अन्न की आवश्यकता अन्य जरूरतों से ऊपर है। अन्न अन्नदाता या गाँव के बिना संभव नहीं है, दुनिया चाहे कितनी भी प्रगति कर ले। जब तक मानव है, अन्न की आवश्यकता बनी रहेगी।
Author | सं: सिनीवाली |
---|---|
Format | Paperback |
ISBN | 978-93-95432-03-0 |
Language | Hindi |
Pages | 160 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
Be the first to review “आधुनिक ग्राम्य कथाएँ (Adhunik Gramya Kathayen / Siniwali)” Cancel reply
Related products
किताबें क्या कहती हैं (Kitaben Kya Kahati hain / Mukesh Kumar Sinha)
₹200.00Original price was: ₹200.00.₹170.00Current price is: ₹170.00. Add to cartBuy Nowबिहारी सतसई (मूल एवं अंग्रेजी काव्यानुवाद) Bihari Satsai (Mool Evam English Kavyanuvad)
₹199.00Original price was: ₹199.00.₹175.00Current price is: ₹175.00. Add to cartBuy Now
Reviews
There are no reviews yet.