जहाँ तक हिन्दी ज़ुबान में कही गई ग़ज़ल की शैली का सवाल है दुष्यन्त के बाद उसके तेवर बदले हैं। शेर की दो पंक्तियों में अभिव्यक्त की गई एक अलहदा तरीके की रवानी, लोच और बांकपन भरे कथ्य की कलात्मक प्रस्तुति ने शायरों को न सिर्फ़ आकर्षित बल्कि प्रभावित भी किया है। अमीर खुसरो से लेकर अविनाश भारती तक ने अपनी ग़ज़लों में शोख़ी और नजाकत को अपना विषय-वस्तु बनाया है परन्तु दुष्यन्त की आक्रामकता, सियासत पर प्रहार, समाज पर व्यंग्य और तीक्ष्ण तेवर को भी इन ग़ज़लकारों ने अपनी ग़ज़लों में समाया है जिसे ‘आसमां एक नया चाहिए’ में देखा जा सकता है।
प्रस्तुत संकलन बत्तीस (32) शायरों की चार-चार ग़ज़लों की यात्रा का एक ऐसा पड़ाव है जिनमें समकालीन जीवन का यथार्थ, जनवादी तेवर और राजनीतिक विसंगतियों पर चोट के साथ-साथ दूब पर खाली पाँव चलने का अहसास तथा प्रेम के पर्वत से झरते पानी को दिलों की गहराई तक प्रवेश कराने वाली रूमानी भावुकता को आप भीतर तक महसूस करेंगे।
Author | Dr. Pankaj Karn |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-19590-11-7 |
Pages | 148 |
Language | Hindi |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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