डॉ. पी.पी. सिन्हा सिर्फ एक सफल साहित्यकार ही नहीं एक जिज्ञासु व्यक्तित्व भी हैं। यही कारण है कि उनकी घुमक्कड़ी उन्हें एक अन्वेषक या एक्सप्लोरर के रूप में सामने लाती है। प्राकृतिक सौंदर्य, भौगोलिक विशेषता, सामाजिक ताना-बाना, सांस्कृतिक विरासतों का अनुभव और इनके सांगोपांग वर्णन के साथ प्रस्तुत किये गये सिन्हा जी के यात्रा संस्मरण जहाँ पाठकों का ज्ञानवर्धन करने वाला है वहीं मनोरंजक भी। वे अपने यात्रा संस्मरणों से जहाँ शिक्षण का उद्देश्य पूर्ण करते हैं वहीं मानवीय समाज, सभ्यता एवं संस्कृति की विकास यात्रा को भी आगे बढ़ाते हैं। जैसा कि पुस्तक में विदित है कि डॉ. पी.पी.सिन्हा ने 1975 ई. से 2010 ई. तक अपने सेवाकाल के दौरान विदेशी, स्वदेशी व स्थानीय यात्रायें की हैं। इटली से प्रारम्भ की गयी ये यात्राएँ वेटिकन सिटी, पाकिस्तान, मिस्र, बांग्लादेश, भूटान, वर्मा, रूस, यूके, नेपाल, चीन से होते हुए भारत में द्वारिका, कच्छ, अजमेर, मसूरी, दार्जलिंग, ऋषिकेष, पारसनाथ, सिलीगुड़ी, चेन्नई, अगरतला, नेफा, मिजोरम, मणिपुर, मेघालय और राजगीर तक पहुँचती है। इसके साथ ही वेनुगढ़ के ऐतिहासिक किले से लेकर जगन्नाथ मंदिर तक की स्थानीय यात्राओं को भी उन्होंने गम्भीरतपूर्वक चित्रित किया है। इस दौरान उन्होंने जहाँ सांस्कृतिक चेतनाओं को कलमबद्ध किया है वहीं राहुल सांकृत्यायन और अज्ञेय जैसे रचनाकारों की विरासत को भी सँभालने का कार्य किया है।
उत्साह एवं उल्लास के भाव से यात्रा करते हुए, सौंदर्यबोध की दृष्टि से प्रकृति, परिवेश को निहारते हुए एक जिज्ञासु की दृष्टि से समाज, संस्कृति का अवलोकन करते हुए उन्होंने जो मुक्त भाव से यात्रा-संस्मरण लिखे हैं वे निश्चित ही ज्ञानवृद्धि करने वाले और दिशा दिखाने वाले हैं।
Books
रोम से राजगीर तक: मेरी अविस्मरणीय यात्राएँ ( Rom Se Rajgir Tak: Meri Avishmarniya Yatra / Dr. P P Sinha )
₹299.00
Author | Dr P P Sinha |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-972569-2-9 |
Language | Hindi |
Pages | 136 |
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