रमेश प्रसून में सहजोद्भूत काव्य प्रतिभा है जिसमें अनन्त संभावनाओं को भोर के प्रोज्जवल उजास को अनुभूत किया जा सकता है। उनके दोहों के गहन अनुशीलन के उपरांत मैं यह कह सकता हूँ कि उनके दोहों में उनकी सृजनशील प्रतिभा से प्रसूत ये दोहे रमेश प्रसून की व्यापक जीवनानुभूतियों का प्रतिफल हैं। इन दोहों का फ़लक व्यापक एवं बहुआयामी है। उनके दोहों में व्यक्ति और समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, विकृति एवं विडम्बना की प्रभावी अभिव्यक्ति को अनुभूत किया जा सकता है। दोहों में यदि एक ओर व्यक्ति और समाज का कृष्ण पक्ष है तो दूसरी ओर आशा, विश्वास और आस्था का समुज्ज्वल शुक्ल पक्ष भी है। आध्यात्मिक-संचेतना से अभिस्नात दोहों में मानव मूल्यों एवं संस्कारिता की प्रभावी अभिव्यक्ति हुई है।
-प्रोफेसर महावीर सरन जैन
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