मेरी अपनी सोच (Meri Apni Soch / Naresh Shandilya)

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कथ्य में प्रगतिशीलता, संस्कार बोध, आधुनिकता बोध, जड़ों से जुड़ाव, गंगा-जमनी शब्दावली, समसामयिक चेतना के तत्व, अनुभूति की प्रामाणिकता, छंद पर पकड़, काव्य के गहरे संस्कार ‘मेरी अपनी सोच’ संग्रह के दोहों को साधारण दोहे और नरेश शांडिल्य को साधारण दोहाकार नहीं रहने देते। देश और काल को पार कर जनता में इनकी लोकप्रियता यह सिद्ध करती है कि हिन्दी के इस जीनियस ने दोहों की पांरपरिक सीमा का अतिक्रमण कर दोहों को पुनः परिभाषित किया है। हिन्दी की कविता को लोकप्रियता दी है। इस मायने में उन्हें ‘दोहों का दुष्यंत’ कहा जा सकता है।

-अनिल जोशी

Author

नरेश शाण्डिल्य

Format

Paperback

ISBN

978-93-49136-71-7

Language

Hindi

Pages

120

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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