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(Parityakta / Harilal Milan)

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‘परित्यक्ता’ (खण्डकाव्य) में सीता की दारुण व्यथा-कथा का जिस गहराई से काव्यातामक सृजन कवि हरीलाल मिलन ने किया है, वह अपने आप में एक अनूठी दृष्टि और सृष्टि है।
‘परित्यक्ता’ काव्य की सीता लोकदेवी के रूप में प्रतिष्ठित की गई है। वह अयोध्या की राजरानी होकर भी परित्यक्ता नारी का जीवन व्यतीत करने के लिए विवश हैं। यह विवशता उनके विराट व्यक्तित्व को कहीं धूमिल नहीं करता, बल्कि वह और प्रोज्ज्वल रूप में समाज के सामने आती हैं। अपने मन में पुरुष की प्रवंचना का दर्द पाले हुए होकर भी वह मर्यादा में बँधा जीवन जीती हैं। यह सहनशीलता का महत् भाव उनके उजले व्यक्तित्व को और निखार देता है।
नारी की गरिमापूर्ण चरित्र का निरूपण करते हुए कवि ने ‘परित्यक्ता’ कृति में लोकमाता सीता की महनीयता का परिचय दिया है।

Author

हरीलाल मिलन

Format

Hardcover

ISBN

978-81-984164-3-8

Language

Hindi

Pages

192

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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