विकलांगता किसी की व्यक्तिगत समस्या नहीं है बल्कि यह समाज के एक बड़े वर्ग की बात है जिस पर निश्चित ही विमर्श किया जाना चाहिए। इस विमर्श को केन्द्र में रख कर लिखी गयी कहानियाँ विकलांगता को दिव्यता साबित करने वाली कोरी कल्पनाएँ भर नहीं हो सकतीं। इसके लिए वस्तुस्थिति और सामाजिक वातावरण का चित्रण आवश्यक है। सुखद अंत की कल्पनाओं से कहीं अधिक सुखद अंत के लिए प्रेरित करती कहानियों की आवश्यकता है जो संवेदनशील मन को झकझोर सकें, समाज को विकालांगजन की वास्तविक स्थिति से परचित करा सके। ऐसी कहानियाँ जो उनके प्रति प्रेम, समानता, सद्भाव और संवेदना का वही भाव जगा सके जो हर मनुष्य का मौलिक अधिकार है।
डॉ. गीता शर्मा जी ने विकलांगता केन्द्रित साहित्य के विकास की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। आपने न सिर्फ़ विकलांगजन को केन्द्र में रखकर कहानियाँ लिखी हैं बल्कि अन्य लेखकों द्वारा लिखी गयी विकलांगता-विमर्श की कहानियों को एक जगह संकलित करने का महती कार्य भी किया है। इस तरह के प्रयासों से विकलांगता-विमर्श को आगे बढ़ाने की हमारी मुहिम को बल मिलता है। प्रस्तुत कहानी संकलन ‘पुनर्नवा’ इसी दिशा में एक और कदम है।
Books
पुनर्नवा (Punarnava / Edi. Dr. Geeta Sharma)
₹399.00
Category: Books Tags: कहानी, विकलांगता-केन्द्रित साहित्य
Author | Editor Geeta Sharma |
---|---|
Format | Paperback |
ISBN | 978-81-984164-7-6 |
Language | Hindi |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
Pages | 224 |
Be the first to review “पुनर्नवा (Punarnava / Edi. Dr. Geeta Sharma)” Cancel reply
Related products
दोहे मेरी पसंद के (Dohe Meri Pasand Ke / Raghuvindra Yadav)
₹160.00Original price was: ₹160.00.₹135.00Current price is: ₹135.00. Add to cartBuy Nowजूता ज़िंदाबाद (Joota Zindabad / Ashok Anjum)
₹160.00Original price was: ₹160.00.₹150.00Current price is: ₹150.00. Add to cartBuy Now
Reviews
There are no reviews yet.