डॉ. रंजना जायसवाल बड़ों के लिए लगातार कहानियाँ लिख रही हैं और पत्र-पत्रिकाएँ लगातार उन्हें प्रकाशित भी कर रही हैं। उनका बालसाहित्य में आना मैं शुभ संकेत मानता हूँ। उनका 12 बाल कहानियों का यह संग्रह इस अर्थ में उपयोगी है कि इनमें बच्चों का पूरा परिवेश हिलोरें ले रहा है। कहानीकार ने इन कहानियों का ताना-बाना भी इस प्रकार बुना है मानों एक कड़ी से दूसरी कड़ी जुड़ती चली जा रही है।
-डॉ. सुरेन्द्र विक्रम
वरिष्ठ साहित्यकार
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