प्रतिमा अखिलेश जी के प्रेमगीतों का संग्रह ‘सुनो प्रियंवद’ लौकिक प्रेम से अलौकिक प्रेम की यात्रा करता हुआ रीतिकाल की रीतिमुक्त काव्य परम्परा से लेकर छायावादी और उत्तरछायावादी गीत परम्परा तक की यात्रा पूरी करता है। इस यात्रा में वह समय-समय पर प्रेमिल उपमानों, बिम्बों और प्रतीकों की सहायता लेते हुए हमें अपने ऐतिहासिक और भौगोलिक परिदृश्य से अवगत कराता हुआ आगे बढ़ता है। कभी यह महादेवी की प्रणयानुभूति प्राप्त करता है तो कहीं सुमित्रानंदन पंत की प्रकृति उपासक सौंदर्य के समीप पहुँच जाता है। इस संग्रह को पढ़ते हुए यह महसूस होता है कि आप प्रेमोद्यान में टहल रहे हैं।
जहाँ तक भाषिक संरचना की बात है- इनके प्रेमगीतों की भाषा कहीं क्लासिकल और रोमांटिक महसूस होती है तो कहीं उच्छलता के साथ कविता में तरंगित होती हुई। इस संग्रह के गीतों में ‘मैं’ का ‘तुम’ में डूबकर उबरने की प्रक्रिया और सहचर्यजन्य प्रेम की सहज अभिव्यक्ति इस कुंठित और व्यग्र समय के लिये किसी वरदान से कम नहीं। इन प्रेमगीतों की सहजता, गहरी संवेदनशीलता उनकी पहचान है जो ध्वन्यात्मकता से भरी पड़ी है। प्रतीकात्मक शब्दों के सहारे अपनी अनुभूति को छूते हुए प्रतिमा जी हर संवेदनशील मन को आकर्षित करना जानती हैं और यही कारण है कि उनके ये प्रेमगीत अनुभूति से उद्देश्य की यात्रा करते हुए सफलता पा रहे हैं।
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Books
सुनो प्रियंवद! (Suno Priyamvad! / Pratima Akhilesh)
Original price was: ₹299.00.₹249.00Current price is: ₹249.00.
Author | प्रतिमा अखिलेश |
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Format | Hardcover |
ISBN | 978-81-978455-5-0 |
Language | Hindi |
Pages | 112 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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