‘निर्मला’ प्रेमचन्द द्वारा रचित सामाजिक उपन्यास है। यह भारत की उन मध्यवर्गीय युवतियों की कहानी है जो दहेज के अभाव में किसी बूढ़े, अपाहिज, रोगी, शराबी आदि कुपात्रों के गले मढ़ दी जाती थी। उपन्यास के परिवेश से पता चलता है कि उस समय हमारा समाज अंधविश्वासों तथा विकृत परंपरागत रूढ़ियों के दवाब में ग्रस्त था। दहेज की प्रथा इनमें सबसे भयानक और अनिष्टकारी थी, जो कमोबेश आज भी है। प्रेमचन्द ने दहेज प्रथा से उत्पन्न नारी जीवन के अभिशापों का चित्रण निर्मला में बखूबी किया है।
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Author | Premchand |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-969433-2-5 |
Language | Hindi |
Pages | 176 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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