तुम्हें सावन बुलाता है (Tumhen Sawan Bulata Hai / Devesh Dixit ‘Dev’)

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देवेश की ग़ज़लों को पढ़ते हुए यह सहज अनुभूति होती है कि हम एक ऐसे रचनाकार के सम्पर्क में हैं जिसकी आँखों में इन्द्रधनुषी स्वप्न हैं किन्तु जो खुरदरी ज़मीन पर चलते हुए जब पग-पग पर चुभने वाले यथार्थ के सम्पर्क में आता है तो उसकी आह अशआर में बदलने लगती है और जब इस आह के साथ सामाजिक कराह का मेल हो जाता है तो उसका किरदार एक ख़बरदार शाहकार में परिवर्तित हो जाता है और उसकी अभिव्यक्तियाँ उस आईने के समान हो जाती हैं जो कमलों से भरी हुई झील को प्रतिबिम्बित करने के बाद
जलती हुई झोपड़ी से उठती हुई लपटों को दिखाने के लिए भी अभिशप्त है। कुल मिलाकर देवेश की रचनाधर्मिता एक आश्वस्ति-बोध देती है, एक युवा कवि ज़िन्दगी को जिस गहराई से देख रहा है और जिस कलात्मकता के साथ उसे अभिव्यक्त कर रहा है उससे लगता है कि हिन्दी-ग़ज़ल के पृष्ठ को एक सशक्त तथा स्वर्णिम हस्ताक्षर और उपलब्ध हो गया है।

-डॉ. शिव ओम ‘अम्बर’

Author

Devesh Dixit 'Dev'

Format

Paperback

ISBN

978-81-19231-52-2

Language

Hindi

Pages

112

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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