सच कहा हमने अगर (Sach Kaha Humne Agar / Sandesh Jain ‘Sandesh’)

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साहित्य इंसानी जीवन का आईना है और ग़ज़ल उस आईने का एक कोना है। इस विधा में भी इंसानी जीवन के सभी पहलु दिखाई पड़ते हैं। ग़ज़ल विधा का रचनाकार अपने आरंभिक चरण में स्व को ही अधिक देखता है तथा उसकी अभिव्यक्ति प्रेम व दर्शन से ज़्यादा प्रभावित रहती है, बाद के चरणों में सामाजिक सरोकार एवं जीवन-मूल्य उसकी अभिव्यक्ति के दायरे में जुड़ जाते हैं। कुछ यही साहित्य की लगभग हर विधा में भी होता है।
संदेश जैन ‘संदेश’ भी ग़ज़ल के उन्हीं आरंभिक रचनाकारों में हैं हालाँकि इस चरण में उनके लेखन के दायरे में प्रेम एवं दर्शन अधिक है लेकिन दुनिया व उसकी समझ भी इनके पास बराबर मिलती है। इनके पास बात रखने का अच्छा ढंग है और शिल्प को वे अपनी तरह से पकड़ने के लिए प्रयासरत हैं। इनकी ग़ज़लों के शेरों में प्रेम के संयोग एवं वियोग पक्ष, रिश्तों की समझ, इंसानियत एवं आपसी सद्भाव की चिंता, देशप्रेम जैसे अनेकानेक विषय समाहित होते दिखते हैं।

Author

Sandesh Jain 'Sandesh'

ISBN

978-81-19590-49-0

Format

Paperback

Language

Hindi

Pages

112

Publisher

Shwetwarna Prakashan

1 review for सच कहा हमने अगर (Sach Kaha Humne Agar / Sandesh Jain ‘Sandesh’)

  1. Saksham jain

    MY FATHER IS THE BEST POET

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