बज्जिका रत्न श्री ज्वाला सान्ध्यपुष्प जी बज्जिका आ हिन्दी के सधल, बँधल आ झमठगर कवि, कथाकार, आलोचक हतन। हिनका रचना सऽ में हिनकर तीनो रूप सहेजाएल, समेटाएल रहइत हए। कहानी लिखे बेरिया हर मोड़ पर हिनकर कवि अप्पन राग-रंग सुनावे लगइत हए आ कविता, गीत, ग़ज़ल लिखइत बेरिया कथाकार विषय-विस्तार दे जाइअ आ, मत पूछू आलोचना बेरिया हिनकर महाकाव्यकार, कवि, कथाकार सम्हें अप्पन दाओ लगावे लगइअ। एहन सब गुन-आगर रचनाकार के कहानी संग्रह के नाम हए ‘प्रेम न बारी उपजे’ जोना में प्रेम, त्याग, समर्पन आ लगन के ताना-भरनी के साथे लोक-जिनगी के कसमकस; संवेदना के उजास;मरद-मेहरारू के नेहिल लगाओ; आदिम-भूख; कल्पना के कोमल उड़ान; कथा-विषय के मनोवैज्ञानिक जाँच-पड़ताल आ आँचलिकता के साथे नगर-बोध सहेजले बज्जिका कहानी-विधा के अनकहल ऊँचाई पर पहुँचा रहल हए।कहानी संग्रह ‘प्रेम न बारी ऊपजे’ कहानी विधा में भाई ज्वाला सांध्यपुष्प जी के एगो अनुपम उपलब्धि हए। बज्जिका कहानी के एगो नया मोड़ देवे वाला। एक्कर शैली, शिल्प, भासा, बज्जिका के अप्पन ठेठ शब्द के साथ तद्भव शब्द सऽ के समतुल बेहवार, वर्तनी के सम्हरल उपयोग के मोताविक बेहवार मनगर आ सरल, सहज वाक्य बेहवार, सिलसिलेवार घटना, कथा-पात्र के चरित्तर के मोताबिक बतकही, मजगर व्याकरन-बोध सभ्हे मिला के ई संग्रह बज्जिका भासा के मानक रूप केउदाहरन हो गेल हए जे सांध्यपुष्प के सधल-सिद्ध कलम के बखान कऽ रहल हए इ संग्रह आ एमें आएल कहानी सऽ।
हिन्दी कथा साहित्य में एगो अस्मृतिशेस चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी हो गेल हतन। ऊ तऽ बहुत जादे कहानी न लिखले हतन बाकी एक्के गो कहानी ‘उसने कहा था’ लिख के ऊ अमर हो गेलन इतिहास में चमकइत सितारा सन। ओनाहिते श्री ज्वाला सांध्यपुष्प जी बहुत्ते कहानी नहिओ लिखतन तइओ एक्केगो कहानी ‘प्रेम न बारी ऊपजे’ से बज्जिका इतिहास में अप्पन नाम सोना के कलम आ चनन के सिआही से लिखावे के अधिकारी हो गेल हतन। कुल मिला के ई कहानी संग्रह बज्जिका कहानी के अकाश में चाननी जइसन लोभाओन आ सुरूज जइसन दपदप जगमगा रहल हए।
– डॉ. शारदाचरन
Format | Paperback |
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Author | Jwala Sandhyapushp |
ISBN | 978-81-192-31-57-7 |
Language | Hindi |
Pages | 104 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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