लो, आज याशी मेरे घर आयी (Lo, Aaj Yashi Mere Ghar Aayi / Dr. Praveen Kumar Anshuman)

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‘लो, आज याशी मेरे घर आयी’ 51 कविताओं का एक सचित्र काव्य-संकलन है। यह लेखक की बिटिया रानी याशी (शारण्या देवांशी) के 7 वर्षों के जीवन काल का एक प्रेमपूर्ण दस्तावेज़ है जिसको उन्होंने पितृत्व की भावना से ओतप्रोत होकर लिखा है। यह इस संकलन की सबसे अनोखी बात है। वैसे तो यह काव्य-संग्रह लेखक और याशी के बीच पिता-पुत्री के रिश्ते को व्यक्तिगत तौर पर उकेरता है, मगर पिता-पुत्री का रिश्ता तो सार्वभौमिक एवं निर्वैयक्तिक है, जिसकी वजह से व्यक्तिगत होते हुए भी यह संकलन साहित्य के पृष्ठ पर उन महानतम कृतियों के बीच अपनी जगह बनाता है जो वात्सल्य की भावनाओं को सबसे ज़्यादा तरज़ीह देते रहे हैं। ‘लो, आज याशी मेरे घर आयी’ वात्सल्य की भावना का एक जीता जागता उदाहरण है जो प्रत्येक संवेदनशील हृदय को स्पर्श एवं स्पंदित करता है।

डॉ० प्रवीण कुमार अंशुमान दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में अंग्रेज़ी विषय के असोसिएट प्रोफ़ेसर हैं। वे बावला एवं कवि-हृदय के रूप में वर्तमान साहित्य जगत् में सुविख्यात हैं। अंग्रेज़ी के अलावा उनकी विशेष रुचि हिंदी भाषा में लिखने और पढ़ने की भी है। इनकी शख़्सियत में भारतीय अध्यात्म का ज्ञान और समझ कूट-कूट कर रचा बसा है। डॉ० अंशुमान दो से तीन वर्षों में 18,000 से ज़्यादा अशआर और 2,500 से अधिक कविताओं को लिखकर ये अपना नाम विश्व रिकॉर्ड में दर्ज़ करवा चुके हैं। सोशल मीडिया पर भी ये बहुत ही सक्रिय हैं। ‘लो, आज याशी मेरे घर आयी’ उनकी चौदहवीं किताब है, जो वस्तुतः एक किताब न होकर उनके और उनकी बेटी याशी (शारण्या देवांशी) के बीच वात्सल्य की यात्रा का एक स्नेहपूर्ण दस्तावेज़ है।

Author

डॉ० प्रवीण कुमार अंशुमान

Format

Hardcover

ISBN

978-81-962317-8-1

Language

Hindi

Pages

80

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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