इस संकलन का उद्देश्य विशेष रूप से उन लाचार हाथों तक पहुँचना है, जो नई कविता के विस्फोट-काल में गीत विधा को मृतप्राय मान चुके हैं या जिनकी समझ में गीत अपने समय को रेखांकित करने में असमर्थ प्रतीत होता है।
फ़िल्मों के योजनाबद्ध फूहड़ द्विअर्थी गाने तथा कर्कश संगीत के दौर में ‘गीतार्णव’ इस पीढ़ी में गीत-चेतना भरने का बढ़िया और सशक्त विकल्प भी है। विषयगत विविधता तथा तीन पीढ़ी के गीतकारों के प्रतिनिधि गीतों, नवगीतों का संकलन, इस संग्रह की विशेषता है, जो इसे हर वर्ग के पाठकों के लिए पठनीय कृति बनाता है।
Author | Edi. Jayshankar Pradagdh |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-93-92617-19-5 / 978-93-90135-52-3 |
Language | Hindi |
Pages | 140, 160 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
AJAY KUMAR GORAI –
Vry nice book jitni baar padho interest badhta jata hai
Jayshankar pathak –
पठनीय साहित्यिक कार्य
Abhijeet Manas –
Nice Job
हरिशंकर –
साहित्यिक धरोहर
Geetasharma –
मैं गीत लिखना सीखना चाहती हूं क्या यह उपजोगी होगी
Bhushan –
He is very nice writing.and best book for youngsters.