कुमारेन्द्र किशोरीमहेंद्र उन कवियों में से एक हैं जिन्होंने न सिर्फ़ कविताओं को लिखा है साथ ही जिया भी है। उनकी काव्य-रचनाओं के केन्द्र में कोई न कोई घटना, स्थिति, व्यक्ति रहा है। अत्यंत कम शब्दों में किसी भी बात को दिल की गहराइयों तक बहुत ही आकर्षक और आलंकारिक रूप में पहुँचाने में उन्हें दक्षता प्राप्त है। अतुकांत होने के बाद भी इनमें एक तरह की लयबद्धता स्वतः ही उभर कर सामने आई है।
Kumaarendra Kishoreemahendr un kaviyon men se ek hain jinhonne na sirph kavitaaon ko likha hai saath hi jiya bhi hai. Unaki kaavy-rachanaaon ke kendr men koi n koi ghaTanaa, sthiti, vyakti raha hai. Atyant kam shabdon men kisi bhi baat ko dil ki gaharaaiyon tak bahut hi aakarSak aur aalankaarik roop men pahunchaane men unhen dakSata praapt hai. Atukaant hone ke baad bhi inamen ek tarah ki layabaddhata svatH hi ubhar kar saamane aai hai.
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‘तपती दुपहरी की शाम ‘ डॉ कुमारेन्द्र जी द्वारा रचित ऐसा काव्य संग्रह है जिसमें कविताओं के द्वारा जीवन के प्रत्येक पहलू और सामाजिक समस्याओं को छूने का प्रयास किया गया है। भ्रूण हत्या से लेकर एसिड अटैक जैसी नारी समस्या बचपन की यादें मित्रों के साथ जीवन जीने का अनुभव सभी पहलुओं की शानदार प्रस्तुति है। ये पुस्तक अवश्य ही पढ़नी चाहिए।