आंचलिकता की चाशनी में डूबी हरीन्द्र यादव जी की माहिया सतसई “लिख मन बंजारे” का प्रत्येक माहिया जनमानस को बरबस आकर्षित करने के लिए व्याकुल है। ये माहिये पाठकों के अधरों पर चढ़कर नाचेंगे और उनके दिलों में उतरेंगे। साहित्य-जगत इन माहियों का जोरदार स्वागत करेगा ऐसी आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है।
-डॉ. जयसिंह आर्य
Author | Harindra Yadav |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-96071-48-6 |
Language | Hindi |
Pages | 128 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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