ग़ज़ल का शाब्दिक अर्थ ही होता है ‘गुफ्तगू’, जिसमें अपने महबूब के सौन्दर्य एवं उसके प्रति उत्पन्न प्रेम का वर्णन किया जाता है इसलिए इस संकलन की अधिकतर ग़ज़लें प्रेम पर ही आधारित हैं, जो कि समय-समय पर लिखी गई हैं।
इश्क़ इबादत है, इश्क़ खुदा की सबसे बड़ी नेमत है, इश्क़ जज़्बातों की आँधी है, इश्क़ एक-दूसरे की चाहत में कुछ कर गुज़रने का जज़्बा है, इश्क़ आग का दरिया है, इश्क़ सिर्फ़ इश्क़ है आदि-आदि अलग-अलग लेखकों, कवियों, शायरों ने अपने-अपने तरीके से इश्क़ को महसूस किया और बयां किया तो फिर ‘इश्क़ है’ इस बात को इक़रार करने से गुरेज क्यों? यही सोचकर इस संकलन का शीर्षक मैंने ‘हाँ इश्क़ है’ रखा।
कुमार गौरव अजीतेन्दु –
बहुत ही शानदार और भावनाओं की खूबसूरत अभिव्यक्ति वाली पुस्तक
रेखा भारती मिश्रा –
कवर और नाम बेहद खूबसूरत हैं और आकर्षक भी। इस संग्रह की ग़ज़लें पढ़कर बहुत अच्छा लगा। किरण सिंह जी ने भारी भरकम शब्दों का इस्तेमाल न करते हुए ग़ज़लों को आसान शब्दों में लिखा है ।
रेखा भारती मिश्रा –
कवर और नाम बेहद खूबसूरत हैं और आकर्षक भी। इस संग्रह की ग़ज़लें पढ़कर बहुत अच्छा लगा। किरण सिंह जी ने भारी भरकम शब्दों का इस्तेमाल न करते हुए ग़ज़लों को आसान शब्दों में लिखा है जिससे इनकी ग़ज़लें सीधे दिल तक उतरती हैं।