प्रभु त्रिवेदी जी एक सिद्धहस्त दोहाकार हैं जो किसी भी कीमत पर शिल्प या तुकांत के नियमों से समझौता नहीं करते अपितु अपनी साहित्य साधना से किसी भी कथ्य को पूर्ण तीव्रता व पारदर्शिता के साथ दोहे में ढाल देते हैं। आम बोलचाल की भाषा में कहे गये सभी दोहे शिल्प व व्याकरण की दृष्टि से खरे हैं। ये दोहे पारम्परिक और आधुनिक दोहों के बीच पुल का निर्माण करने वाले हैं। समकालीन समस्याओं को अभिव्यक्त करते हुए ये कभी कटु नहीं होते हैं। इनका सरल, सहज, सौम्य स्वभाव इनके दोहों में भी स्पष्ट नज़र आता है।
Author | सं. गरिमा सक्सेना |
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Format | Hardcover |
ISBN | 978-93-95432-18-4 |
Language | Hindi |
Pages | 128 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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